मित्रों, परीक्षा एक ऐसा शब्द है जिससे हर कोई डरता है। आज की पोस्ट में हम जानने वाले हैं की परीक्षा के डर को कैसे दूर करें। हम कैसी रणनीति बनाएं ताकि हमें परीक्षा के दिनों में कोई डर ना लगे और हम निश्चित एवं तनाव मुक्त होकर परीक्षा दे सके।
आईए एम स्टेप बाय स्टेप जानते हैं की परीक्षा के डर को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए। Pariksha ke dar ko kaise door kare?
साल की शुरुआत में ही अच्छी रणनीति बनाएं और तैयारी कर।
दोस्तों ऐसा नहीं होना चाहिए कि साल भर तो हम निश्चिंत होकर बैठे रहें और जब परीक्षा सिर पर हो तब हम हड़बड़ाहट में तैयारी करें। होना तुझे चाहिए कि जैसे ही हमारा सत्र शुरू होता है तो शुरू के महीने में ही हम पूरी साल भर की तैयारी की रूपरेखा बना लें।
अगर हम ऐसा करने में सक्षम होते हैं तो निश्चित रूप से हमें परीक्षा के दिनों में कोई जल्दबाजी नहीं होगी और हम बड़े आराम से परीक्षा की तैयारी कर सकेंगे।
पिछले साल के क्वेश्चन पेरो को हल करने का प्रयास करें।
अगर हम पिछले साल के सैंपल पेपर से की तैयारी करेंगे तो हमको परीक्षा की तैयारी करने में विशेष परिश्रम नहीं होगा। इसके लिए बाजार में बकायदा 265 सैंपल पेपर या मॉडल क्वेश्चन पेपर के सेट आते हैं वह हम खरीदने और उनकी तैयारी करें। ऐसा करने से हमें दो फायदे होंगे पहला फायदा तो हम विषय पर हमारी पकड़ अच्छी होगी और दूसरा परीक्षा में प्रश्न कैसे आते हैं हमको इसका नॉलेज होगा।
रिवीजन का ध्यान रखना जरूरी है। साल भर जो भी हमने पढ़ा है तो प्रयास यह होना चाहिए कि साल में काम से कम दो-तीन बार उसको दोहराना जरूर चाहिए । जब हम किसी भी विषय वस्तु को दोहरा सकते हैं तो हमको कहीं नहीं चाहिए भी पता चलती हैं जो पहली बार पढ़ने में समझ में नहीं आ पाती। विषय वस्तु को बार-बार दोहराने से बोलने की प्रक्रिया भी कम होती है और विषय वस्तु को समझने में बहुत अधिक मदद मिलती है।
महत्वपूर्ण बिंदुओं के नोट बनाना सीखें। जब हम साल भर पढ़ाई के दौरान महत्वपूर्ण बिंदुओं को एक अलग नोटबुक में लिखते जाते हैं तो परीक्षा के दिनों में हमें बस में में पॉइंट्स को दोहराना बहुत सहायता देता है। नोट्स बनाने से हमको विषय को याद रखने में बहुत मदद मिलती है।
परीक्षा के हिसाब से पूर्व अभ्यास करें। इसके लिए हम पिछले साल के प्रश्न पत्रों को लेकर जितना समय का प्रश्न पत्र उतने ही समय घड़ी में टाइम देखकर बैठ जाएं और उतने ही समय में उसको हल करने का प्रयास करें। अगर हमने मित्र रूप से ऐसा करते हैं तो निश्चित ही हमको परीक्षा के स्वरूप को समझने में और अपनी कमजोरी को जानने में सहायता मिलेगी।
रेखा चित्तौड़ डायग्रामों का अच्छा अभ्यास करें। कई बार यह होता है कि हम सिर्फ छोरी को पढ़ने जाते हैं और उसमें दिए गए डायग्रामों को सीखने का प्रयास नहीं करते। अगर हम डायग्राम बनाना सीख ले तो इससे हमको बहुत मदद मिलती है। कई प्रश्नों में तो बाकायदा चित्रों के लिए अलग से अंक निर्धारित रहते हैं।
अपनी लिखावट को सुधारते जाएं। काफी जचने वाला परीक्षक अच्छी हैंडराइटिंग से बहुत अधिक प्रभावित होता है। यदि आपकी राइटिंग बुरी है तो हो सकता है आपको कम अंक मिले। इसके लिए आपको अपनी हैंडराइटिंग सुधारने पर भी ध्यान देना चाहिए।
आशा करते हैं आज की यह छोटी सी पोस्ट आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हुई होगी। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आती है तो उसे अपने दोस्तों तक शेयर जरूर करें और हमारे ब्लाग को नियमित रूप से पढ़ते रहें।